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रोशन ज़मीर - सा

रोशन ज़मीर - सा

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रंगो भरी मिली हमें फूलों की डालियां

कैसी सजी हैं आज ये कानों की बालियां

उनके करम ने खींचके डाली निगाह जब

बजने लगी हैं ज़ोर से कानों में तालियां।


पलता गया है रूह में रोशन ज़मीर - सा

भरती गई हैं आज वो हलवे की थालियां

हमको ये छेड़छाड़ ने एक पुतला बना दिया

सुनते रहे खुशी - खुशी सब उनकी गालियां।


दस्ते मिज़ाज़ थामके मासूम थम गये

छूटी न फिर कभी इन हाथों की जालियां...।


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