रंगरेज
रंगरेज
रब तू है सच्चा रंगरेज, तेरा जैसा कोई कहाँ है,
खुशी और गम दोनों रंगों से जीवन को रंगा है।
तेरे रंगने की जो कला है वह अद्भुत अनोखी है,
तेरे ही रंग से दुनिया का ये रूप सुंदर सजा है।
कहीं हरियाली तो कही पानी कहीं पेड़ों के रंग,
ऐसा अनोखा रंग बता रब कैसे धरा को मिला है।
लाल पीला गुलाबी हरा अनेकों रंग से रंगा तूने,
सफेदी के सादगी को तूने सुंदर रंग से भरा है।
उदासी के रंग से जब हो बोझल सी साँसें हमारी,
खिलखिलाहट का सुंदर रंग तुमने तो गढ़ा है।
मन की कालिमा को हर रंग से दूर रखा तुमने,
विचारों की शुचिता नहीं तो बेरंग तुमने किया है।
रब तू है सच्चा रंगरेज तेरा रंग अनोखा सदा ही,
हानि लाभ, यश अपयश के हर रंग को तूने रखा है।