STORYMIRROR

Aditya Anand

Fantasy

4  

Aditya Anand

Fantasy

रंगीन

रंगीन

1 min
227

है आफताब सामने रंगीन ही

है जज्बात सिमटे रंगीन ही

रंगीन है ये समां भी 

रंग में लीन है दुआ भी 

गर रम गए है यहाँ 

तो समझो हो गए रंगीन 

गर छूट गए कहीं 

तो लिपट जाना रंगीन 

हो रही बातें रंग-बिरंगी हर तरफ 

चल रही साँसे, बिना तोड़े जर्फ़

उम्मीद है 

तू भी रंगेगा

गुल से गुलिस्तां तक।


लेकिन

रंग तो हजार होंगे 

रंग हर ओर होंगे 

रंगीन होना लाजिमी होगा।

हो सके तो 

एक रंग 

मुट्ठियों में भरकर,

उड़ेल लेना खुद पे। 

ताकि रंग लगे 

तो रंग जाना 

न रंग बदलना

न रंग दिखाना।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy