अग्रसर
अग्रसर


नसीहते "सौ-सौ" लिए मैंने
नम आँखों के अश्क भी लिए मैंने ,
ले लिया असमां का सूनापन
जमीं की बेरूखी
और वक्त बेबसी का ।
हाँ ,ले लिया थोड़ी हँसी देकर
रिश्तों में खुशी पाकर ,
छोटे-छोटे कदमों से किनारा कर
और सोचकर कि
कहने वाले मुझे 'मतलबी' ,
इन बातों के मायने न बदल दें ।