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Aditya Anand

Abstract

4.0  

Aditya Anand

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अग्रसर

अग्रसर

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नसीहते "सौ-सौ" लिए मैंने 

नम आँखों के अश्क भी लिए मैंने ,

ले लिया असमां का सूनापन 

जमीं की बेरूखी 

और वक्त बेबसी का ।

हाँ ,ले लिया थोड़ी हँसी देकर 

रिश्तों में खुशी पाकर ,

छोटे-छोटे कदमों से किनारा कर

और सोचकर कि

कहने वाले मुझे 'मतलबी' ,

इन बातों के मायने न बदल दें ।


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