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Amit Kumar

Abstract

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Amit Kumar

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रंग

रंग

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अभी सुर्ख़ है रंग दुआओं का

पुख़्ता है ज़ोर तमन्नाओं का

उड़ान भर कर जब उठेगी 

तब देखेंगे बादेसबा तेरे दर से 

अभी तो ज़रा उनवान है

नई सोच नई आशाओं का

कौन है जिसने उगाया है दिन को

कौन है जिसने अंधेरों को सींचा है


कौन है जो खेतों में

उम्मीद को बोता है

कौन है जो काटता है

फसल फासलों की

कौन है जो डूबने से

डरता है दरिया में

कौन जिसको पार

जाने का जुनून है


ज़िद है मरकर भी जीने की

कौन है जो परवाज़ में

भर देता है आत्मविश्वास को

कौन है जो दिल में

ज़ज़्बा लिए जज़्ब है

अपनी ही कारसाज़ी का..

        


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