STORYMIRROR

Sneha Srivastava

Abstract Tragedy

3  

Sneha Srivastava

Abstract Tragedy

रंग हुए बेरंग

रंग हुए बेरंग

1 min
232

रंग आज सारे बेरंग से हैं

बदले हुए सारे ढंग से हैं

रंग आज सारे बेरंग से हैं।

फूलों में आज खुशबू नहीं

भँवरों में आज मस्ती नहीं

रूठें हुए आज सारे संग से हैं

रंग आज सारे बेरंग से हैं।

कोयल अब गाती नहीं

चिड़ियाँ भी अब चहचहाती नहीं

मीठे सारे स्वर आज बंद से हैं

रंग आज सारे बेरंग से हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract