रंग अबीर
रंग अबीर
कान्हा आये होरी खेलन,भर मुठ्ठी में रंग अबीर
चुनरी भीगी चोली भीगी, प्रेम रंग सब रँगो शरीर1
फागुन आयो फागुन आयो, ब्रज ने खूब मचाया शोर
रास रचायें झूमें नाचे, लेकर सारे ढोल मँजीर2
बजे ढोल मृदंग झाँझरें, पीकर भंग रहे सब झूम
धरती झूमे अंबर झूमें, झूम झूम कर बहे समीर 3
लाल गुलाबी हरा बैंगनी, इंद्रधनुष के जैसे रंग
वसुधा का शृंगार करें सब, हर लेते हैं मन का पीर4
रतनारे टेसू बिखरे हैं , गोरे गोरे गाल गुलाल
उमड़ घुमड़ हुड़दंगी आये, भर पिचकारी फेंकें नीर5
बुरी बलायें हरने आया, है बासंती यह त्यौहार
गले लगायें इक दूजे को, तोड़े नफरत की जंजीर6