रक्षाबंधन: पावन प्रेम का पर्व
रक्षाबंधन: पावन प्रेम का पर्व
ईश्वर कभी- कभी कुछ किस्से, अजीब लिखता है।
राखी के दिन भाई की कलाई पर, स्वयं ही दिखता है।
राखी कोई पर्व नहीं, यह तो ईश्वर का है वरदान।
बहना को है सदियों से, भाई पर अभिमान।
जुग-जुग जियो मेरे भैया, मैं यही दुआएँ करती हूँ।
खो ना दूं कभी तुम्हें, इस बात से मैं डरती हूँ।
बहना मेरी ओ बहना, तेरी रक्षा का वचन मैं देता हूँ।
राखी का कर्ज हमेशा, अपने माथे लेता हूँ।
राखी धागा मात्र नहीं यह, पावन स्नेह की अमर कहानी।
रक्षाबंधन पर्व नहीं यह, भाई-बहन की अजर निशानी।
