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रखवाले वतन के

रखवाले वतन के

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रखवाले वतन के जो खुद को मिटा गए

हाँ वो दिलवाले थे अपना प्यार लुटा गए

भारत से की सच्ची मुहब्बत निभा गए

अनजान थे फिर भी दिल में जग़ह बना गए


आज भीगी पलकों से माँ इंतज़ार करती है

उसकी बहन भी आँगन में दिया धरती है

सबको उम्मीद है उस बहादुर के लौटने की

बीवी है जो पल पल उसकी याद में मरती है


दर्द तो बहुत सहा होगा दुश्मन से लड़ते हुए

मुश्किल भी आयी होगी फ़र्ज़ अदा करते हुए

लड़ते रहे वो अपने आखिरी दम तक,

नहीं पीछे हटे वो किसी मुश्किल से डरते हुए



वो बर्फ पे अपना खून बहाते बहाते,

अपने देशभूमि का स्वाभिमान बचा गए

घर - परिवार तो उनका भी था अपना ,

पर वो शहीद होकर हमारा घर बचा गए


रखवाले वतन के जो खुद को मिटा गए

हाँ वो दिलवाले थे अपना प्यार लुटा गए


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