Anshu Awasthi

Romance Tragedy

4.5  

Anshu Awasthi

Romance Tragedy

रिवाज़ नहीं

रिवाज़ नहीं

1 min
460


यूं तो रिवाज़ नहीं जन्मदिन पर

आपके आपसे ही कुछ मांग लूं।


पर सिद्दत है की कोई और नहीं-

उन सुर्ख लवों ने जो दवा रखी है,


खुर्शीद में ओस की बूंदों सी

चमकती वो शादाब हंसी।


वो बेशकीमती मोतियों की कतार-

जो आपने छिपा रखें हैं अपने,


रुसवाइयों के शबिस्तान में

'अंशु' वो इसकी मुस्तहक़ नहीं।


उन्हें दे लेने दीजिए मुबारकबाद

मुत्तसिल हो मेरी ख्वाहिशों से।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance