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मैंने एक शाम ठहर कर खुद से पूछा कि ऐ ज़िंदगी सुकून क्या है। मैंने एक शाम ठहर कर खुद से पूछा कि ऐ ज़िंदगी सुकून क्या है।
पर संयम की शक्ति से तू निश्चित ही जीतेगा। तू निश्चित ही जीतेगा। पर संयम की शक्ति से तू निश्चित ही जीतेगा। तू निश्चित ही जीतेगा।
मेरी बातें अपनी – अपनी सी संकरी गलियों में एकाकी रमती सी। मेरी बातें अपनी – अपनी सी संकरी गलियों में एकाकी रमती सी।
उन्हें दे लेने दीजिए मुबारकबाद मुत्तसिल हो मेरी ख्वाहिशों से। उन्हें दे लेने दीजिए मुबारकबाद मुत्तसिल हो मेरी ख्वाहिशों से।
एक शाम ढल रही थी कुछ पलों में फ़िर ना लौटते कलों में। एक शाम ढल रही थी कुछ पलों में फ़िर ना लौटते कलों में।