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Anshu Awasthi

Tragedy

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Anshu Awasthi

Tragedy

कोरोना महामारी

कोरोना महामारी

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ठहर सी गई है जिंदगी,

कैसी खामोशी है चारों ओर!

सूरज तो उगता है 

अब भी हर रोज़,

पर ना जाने अब 

न होती है सुबह न होती है भोर।


सब कुछ ठीक ठाक ही लगता है।

न जाने है ये कैसा माहौल !

पसरा है एक गहरा सन्नाटा

भरी दुपहरी में चारो ओर

न जाने कैसी आपद आयी है

दिखती चारो ओर ही खाई है!


विधाता ने क्या अपना

प्रताप दिखलाया है?

क्या सृष्टि के स्वामी ने

मनाव को अपना अधिकार दिखाया है।

सारी शक्ति इस सभ्यता की

एक ओर खड़ी है कर जोड़े।

प्रकृति खड़ी है खड़ग लिए

कर अट्टाहास कह रही

आ आ आ तेरा भी दंभ तोड़े।


मन रे! इस व्याकुलता का

एक मात्र सहारा साहस है।

एक सदविवेक कि ढांढस हैं-

जब अच्छे काल थे जो बीत गए

तब यह समय भी बीतेगा।

माना की है समय भीष्म

पर संयम की शक्ति से 

तू निश्चित ही जीतेगा।

तू निश्चित ही जीतेगा।


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