रिश्तों में स्थिरता
रिश्तों में स्थिरता
प्यार, विश्वास, सम्मान, समर्थन से ही मजबूत होता है रिश्ता,
रिश्तो में हों गर सभी गुण विद्यमान तो बनी रहती है स्थिरता।
सफ़र के अन्त तक टिकते हैं रिश्ते बनी रहती है उनमें जान,
एक दूजे की स्वतंत्रता का जब रिश्तों में किया जाए सम्मान।
समय-समय पर प्यार और प्रशंसा के पुष्पों की बरसात भी,
बरकरार रखती है स्थिरता मजबूत करती हैं जड़े रिश्तो की।
समझौते नहीं समर्पण भाव हो दिल की कहने की आज़ादी,
आजमाइश की जगह विश्वास ही है मजबूत रिश्ते की चाबी।
एक दूसरे के स्वाभिमान का भी रखना पड़ता रिश्तो में मान,
वक्त कैसा भी हो साथ चलना रिश्तो में स्थिरता की पहचान।
एक दूजे के विचार,ख़्वाब, लक्ष्य और नजरिए को समझना,
रिश्ते में खूबसूरती बनाए रखने का इससे बेहतर नहीं गहना।
छोटी नोकझोंक तो है ज़रूरी पर प्रतिशोध की न हो भावना,
बेझिझक दिल की बात कहे इतना विश्वास तो चाहिए होना।
प्यार प्रशंसा दिखावा नहीं होना चाहिए एक सच्चा एहसास,
सच्चाई और ईमानदारी ही रिश्तो को बनाकर रखती खास।