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Dr.Purnima Rai

Abstract Inspirational

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Dr.Purnima Rai

Abstract Inspirational

रिश्ते

रिश्ते

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कथनी करनी एक सी, हृदय तराजू तोल।

धन पलड़े में कब टिके, रिश्ते हैं अनमोल।।


मात-पिता ,भाई ,सखा, सब ये रिश्तेदार।

सब रिश्तों से है बड़ा, केवल जग में प्यार।।


रिश्तों में जब प्यार हो, मन में जगती आस।

सहज भाव से जिंदगी, खिलता है मधुमास।।


जीवित वे रिश्ते रहें, जिनमें है सद्भाव।

प्रेम समर्पण त्याग से, दिखता है समभाव।।


रिश्तों की भीनी महक, सजता जीवन बाग।

खिलते फूल गुलाब ज्यों, काँटों से बेदाग।।


देशद्रोह गद्दार को, करें कभी मत माफ।

फाँसी दें मक्कार को, देश दिखेगा साफ।।

 

माँ की कोख उजाड़ते, कर्म करें हैं नीच।

गद्दारों की लाश को, फेंको कुत्तों बीच।।


होश गँवाते जोश में, अब द्रोही मक्कार।

मासूमों पर कर रहे, निशदिन अत्याचार।।


वहशीपन की आग में, बढ़ती है तकरार।

देश द्रोह उत्पात का ,बंद करो व्यापार।


देश-प्रेम से दब सके, देश-द्रोह अंगार ।

सुप्त चेतना में भरें, मिलकर हम सब प्यार।


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