रिश्ते
रिश्ते
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मशक्कत कर ले चाहे जितनी भी,
रेशम के धागे कहाँ सुलझ पाते हैं।
गाठें पड़ जाये जब दिलों में,
तब रिश्ते टूट जाते हैं।
यादों से भरा झोला दिल का,
उठाते हैं, और अगली बस्ती
में बस जाते हैं।
मशक्कत कर ले चाहे जितनी भी,
रेशम के धागे कहाँ सुलझ पाते हैं।
गाठें पड़ जाये जब दिलों में,
तब रिश्ते टूट जाते हैं।
यादों से भरा झोला दिल का,
उठाते हैं, और अगली बस्ती
में बस जाते हैं।