रिश्ते बड़े ही नाज़ुक होते हैं
रिश्ते बड़े ही नाज़ुक होते हैं
कच्चे धागों से जुड़े बड़े ही नाज़ुक होते हैं रिश्ते,
प्यार और विश्वास की डोर से बांधे जाते हैं रिश्ते,
अपनेपन से रिश्तों की डोर तभी मजबूत होती है,
जब पूरे मन से निभाए और संजोए जाते हैं रिश्ते,
रिश्तों में पड़ी गांठ डोर को कमज़ोर कर देती है,
पर आपसी तालमेल है तो हर गांठ खुल जाती है,
रिश्तों में गलतफहमियां अगर समय पर दूर न हो,
तो ये रिश्तों की नींव को भी हिलाकर रख देती है,
दिखावे के रिश्तों की उम्र ज्यादा लंबी नहीं होती,
बेमन से बंधे रिश्तों में प्यार की खुशबू नहीं होती,
छोटी-छोटी बातों से ही टूट जाया करते जो रिश्ते,
उन रिश्तों में एहसास की कोई कीमत नहीं होती,
आसान नहीं है रिश्ता बनाकर जीवन भर निभाना,
कभी समझौता है इसमें तो कभी पड़ता है झुकना,
रिश्ते पोटली में बांध कर रखने के लिए नहीं होते,
समय-समय पर प्यार का इत्र पड़ता है छिड़कना,
जिन रिश्तों में विश्वास के फूल खिले-खिले रहते हैं,
वही रिश्ते जीवन भर प्यार की खुशबू से महकते हैं,
लेन-देन पर टिके जो रिश्ता, रिश्ता नहीं है व्यापार,
दिल से जुड़े सच्चे रिश्ते ही मन से निभाए जाते हैं।