रिमझिम फुहारें
रिमझिम फुहारें
वो रिमझिम फुहारें मन को भाएं रे,
सावन का झूला, वो हँसी ठिठोला,
बीते हुए दिन , मन को बहुत तरसाएं रे,
रिमझिम फुहारें मन को भाएं रे।
वो दोस्तों की महफ़िल, सुनहरे पलझिन,
पार्को की चहल-पहल,वो योग की कक्षाएँ,
वो बाज़ारों की बस्ती, पानी पूरी की सी-सी,
याद आए रे, रिमझिम फुहारें मन को भाएं रे।
वो हरियाली की तीज, महेंदी की भीड़,
बेफिक्र से तैयार होकर घूमने की रीस,
वो नए-नए परिधानों को लेने का लालच,
माँ से मिलने की प्यारी सी चाहत, याद आए रे,
रिमझिम फुहारें मन को भाएं रे।
धुली - धुली सी सड़कें, हरे-भरे पेड़ों की ठंडक,
सौंधी सी मिट्टी की खुशबू, वो फूलों की कलियांँ,
बच्चों का चहचहाना, वो बचपन की अठखेलियाँ,
याद आए रे, रिमझिम फुहारें मन को भाएं रे।