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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

"रीट कमल"

"रीट कमल"

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आखिर मुरझा गया रीट कमल

भ्रष्टाचार को मिल ही गई पेंशन

धन्य हो मेरी राजस्थान सरकार,

मेहनतवालो की टूट गई गर्दन


अब दुबारा नही हो,ऐसी गलती

बना दो ऐसा कोई कानून,सबल

भ्रष्टाचारियों पर कस दे नकल

मिट जाये चोरों की पूरी ही नस्ल


कोई भ्रष्टाचार करे क्या सोचे,

उस तक का हो सरेआम कत्ल

आखिर मुरझा गया रीट कमल

मेहनतवालो की लूट गई फसल


मेरी आंखों में भरा इतना जल

दरिया इसके आगे सूक्ष्म थल

मेरी साथ हुआ बहुत घोर छल

लूट लिया भ्रष्टाचारियों ने शहर


कड़ी मेहनत हो गई,मेरी निष्फल

चोरों के कारण,रीट हुई असफ़ल

आंखों से बह रहा,अक्षु लहूं बन

ख़ुदा का न मिलेगा उन्हें फजल


जिन्होंने किया यह जीवन दलदल

हरबार जरूरी नही बरसे साखी,

जीवन में कोई सफलता जलद

जो भी हुआ अच्छा न हुआ,कल


हमारा व्यर्थ हुआ खून ए जिगर

यह रीट हुई,क्या मित्रों असफल

दिल मेरा बैठ गया यह सुनकर

फिर से कैसे खिलाऊं,में कमल


फिर से दिल कर रहा हूं,पत्थर

फिर से करूंगा,में कठोर तप

रीट टूटी,पर उम्मीद न छूटी

फिर से करूंगा में ऐसा श्रम


ज़माना यह देख रह जायेगा,दंग

मिटेगा तम,जलाऊंगा,वो दीपक

राज पहले भ्रष्टाचार की तोड़े कमर

तभी खिलेगा सच मे रीट कमल.


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