रहमतों की रात
रहमतों की रात
मुक़द्दस महीना रमज़ान का, आई रहमतों की रात।
इस ज़हाँ में ख़ुदा, अब कर देना ख़ुशियों की बरसात।
ज़कात फितरा नमाज़ सजदा, दुआ सबके लबों में।
रौशनी से भर देना ज़िन्दगी, मिले नेमतों की सौगात।
रोज़ादार माँग रहे माफ़ी, जो हुआ जाने अनजाने में।
हर मुराद पूरी हो उनकी, बरकतों से हो मुलाक़ात।
मुद्दतों के बाद मुस्कुरा रहे लब, लगे हैं सब इबादत में।
नवाज़िश बरसा देना मौला, कर देना कोई करामात।
सलामत रहे सारा आलम, शिकन न हो किसी चेहरे में।
रहमतों का ख़जाना मिले सबको, ईद में नई शुरुआत।