रौशनी का एक दरिया
रौशनी का एक दरिया


पूरब की ओर खड़ा
मैं उगते सूरज को निहार रहा था।
कुछ सोच कर यूँ ही
सूरज को देखते हुए आँखें बंद की।
आँखों में तेरा चेहरा तैर गया
और नज़र आया, रौशनी का एक दरिया।
पूरब की ओर खड़ा
मैं उगते सूरज को निहार रहा था।
कुछ सोच कर यूँ ही
सूरज को देखते हुए आँखें बंद की।
आँखों में तेरा चेहरा तैर गया
और नज़र आया, रौशनी का एक दरिया।