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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

Classics

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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

Classics

रातों का जागना

रातों का जागना

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रातों का जागना अच्छा लगता हे 

रातों मे जब आज 

रातों मे जब आग 

रातों मे जब साज 

रातों मे जब काज 

जागना अच्छा लगता हे !


रातों को जब शोर 

छायी घटा घनघोर 

चन्दा ताके चकोर 

मन मे नाचे मोर 

जागना सच्चा लगता है !


शायद मन की बात 

प्रतिध्वनी की ओ रात 

मुश्किल थी मुलाकात 

बिगड़े  थे हालात 

सोचना कच्चा लगता है 

पर जागना अच्छा लगता है !


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