रात मुन्तिजर में कट जायेगी।
रात मुन्तिजर में कट जायेगी।
लगें आज भी हमारा चाँद शायद नहीं आयेगा,
आज हमें फिर सपनों का सहारा लेना पड़ेगा।
सितम उनकी खट्टी-मीठी यादों का तो देखिए।
आज भी रात मुन्तिजर में जागते कट जायेगी।
यारों प्यार कभी किया नहीं जाता ना हो जाता है,
नजरों के खेल में सदा मारा बेचारा दिल जाता हैं।
प्यार कब कहां कैसे क्यूं और किससे हमें हो जाएं,
कोई ना जान सका ना जाना और ना जान सकेगा।
कोई कह दो ना जाकर उनको हमारा हाल-ए-दिल,
कि कुछ पल ही सही कर दे इतनी सी मेहरबानी।
प्यार में तो आशिक लुटा तक देते है अपनी जान,
वो हमारे लिए कर नहीं सकते कुछ पल कुर्बान।