रात भर रात ने सोने न दिया.....
रात भर रात ने सोने न दिया.....
रात भर रात ने सोने न दिया
जागते जागते कट गई रात
याद ने तेरी मुझ को रोने न दिया
स्वप्न सा रह गया था सब कुछ
जिंदगी की हकीक़त ने मुझ को
ख्वाबों का भी न होने दिया
भूल कर भी भूल हमसे न हुई
की नहीं खता ये खता हमसे हुई
भावनाओं पर बस किस का चला
सुकून हर पल कब किस को मिला
चलते चलते उम्र आधी यूँ ही
बीता दी गई
बाकी जो बची है वो कर्ज की है
किस्त उसकी भी बँधा दी गई है
मुस्कुराहट चेहरे से दूर हो गई है
जिंदगी जिंदगी के हाथों मजबूर
हो गई है........
