रास्ता ससुराल का
रास्ता ससुराल का


थी राजकुमारी मम्मी की, पापा की राज दुलारी थी।
अब ससुराल में जाकर के, रानी बनने की तैयारी थी।
आँसू भरकर आँखों में, मम्मी ने राह दिखाई।
"मंजिल तो मिल गई बिटिया, रास्ता अभी तुम्हें तय करना है।
सास, ससुर, ननद, देवर के मन में अपनी जगह बनाना है!"
भर लाखों सपने आँखों में, अब बेटी हुई पराई थी।
फूलों से भरा हो ये रास्ता, पापा ने आस लगाई थी।
बहू बनी तब पता चला, ये रास्ता न आसान था।
कांटे थे हर पग पर यहाँ, हर मोड़ पर एक रुकावट थी।
पर अपने शीतल सोम्य स्वभाव से उसने,
रास्ते के हर कांटे को फूल बनाया था।