'' रासलीला ''
'' रासलीला ''
सुबह कमल की पंखुड़ियां
सूरज के उगते ही खिलने लगीं
भौंरे गुंजार करने लगे
दिन महक उठा सूरज बादल को देखकर हंसने लगा
दोपहर में धूप खत्म हो गयी
बूंदाबांदी शुरू हुई अचानक
मूसलाधार बारिश होने लगी
बरसात का मौसम चारों तरफ हंसने लगा
शाम में उमस से भरा दिन
धुंधले आकाश में सिमट गया
सितारे आकाश में उग आये
चांदनी नदी किनारे सजधजकर उतर आये
कदंब की डालियों पर बैठा कन्हैया
शाम में जंगल से घर लौटते बांसुरी बजाए
गोपियों को कृष्ण की रासलीला
भादों की उफनती रातों में याद आये
राधा मोहन की झूला सजाए
सखियों संग मुसकाए वृंदावन की
कुंज गलिन में होली धूम मचाए
बादल सावन में मीठा जल बरसाए !
