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Ganesh Chandra kestwal

Inspirational

4.7  

Ganesh Chandra kestwal

Inspirational

रास रचैया

रास रचैया

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निष्काम कर्म का पाठ पढ़ाने, कान्हा भू पर आया।

मात जसोमति के हृदय में, आशा दीप जलाया।

पनघट तट पर मुख में माँ को, सकल विश्व दिखलाया।

रास रचैया कृष्ण कन्हैया, अद्भुत तेरी माया।।१।।


गोकुल ग्वालों के लालों को, अपना मीत बनाया।

उनके संग में घर-घर जाकर, माखन खूब चुराया।

खूब लपेटा अपने मुख पर, गोपन खूब खिलाया।

रास रचैया कृष्ण कन्हैया, अद्भुत तेरी माया।।२।।


मोर मुकुट सिर पर धारणकर, अनुपम रूप बनाया।

मोहिनी मुरली मधुर बजाकर, सबका चित्त चुराया।

जड़ जंगम को तूने मोहन, प्रेम अनघ सिखलाया।

रास रचैया कृष्ण कन्हैया, अद्भुत तेरी माया।।३।।


जमुना तट पर ग्वाल बाल संग, कंदुक खेल रचाया।

ढूँढन गेंद गया यमुना में, नाग नाथकर लाया ।

>विष विहीन किया यमुना जल, धन्य धन्य है माया।

रास रचैया कृष्ण कन्हैया, अद्भुत तेरी माया।।४।।


थोड़ा सा माखन खाने को, ग्वालिन नृत्य दिखाया।

चित चोरन गोकुल ग्वालिन के, ठुमका खूब लगाया।

मटकी सबकी तोड़ी तुमने, माखन दूध बहाया।

रास रचैया कृष्ण कन्हैया, अद्भुत तेरी माया।।५।।


निर्मल नेह सिखाने मोहन, जमुना तट पर आया।

स्वच्छ चाँदनी के आँचल में, गोपिन सभी बुलाया।

हर गोपी संग अलग अलग तन, रास महान रचाया।

रास रचैया कृष्ण कन्हैया, अद्भुत तेरी माया।।६।।


कृपा कर लो मुझ पर मोहन, शरण तिहारी आया। 

ज्ञान पिपासा पूरण कर लो, जैसा पार्थ सुनाया।

हे जग स्वामी मुझे बचाओ, जैसे धर्म बचाया।

रास रचैया कृष्ण कन्हैया, अद्भुत तेरी माया।।७।।


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