रास लीला
रास लीला


रंग भाए मुझें ,
रंग भाए तुझें,
रंग रंगीन हुई ये शाम की ,
राधा के संग मीरा गाये
कृष्णा में दासी तेरे नाम की ,
थिरके मेरे ताल तेरी बंसी से
नाचे ब्रजवासी सभी मदहोशी से
मेघा बरसे, मोर नाचे
कुहू कुहू पपीहा गाये
कान्हा के संग गोपियाँ झूमे
मन कैसे न जले राधा के
मैं न बोलूं कुछ, श्याम से
ये देख कान्हा मंद - मंद मुस्काये
रूठे राधा को कैसे मनाओ
लाल रंग के गुलाल से
मोहे छेड़े पनघट पर
हँसी सारी मोरी सखियाँ
लाज न आये कृष्णा को
नटखट कृष्णा ही जाने उनकी महिमा
"निधिवन" में करे कृष्णा राधा रासलीला।