राम का नाम
राम का नाम
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राम का नाम है अमृतवाणी, कृपा मिले रटे जो प्राणी,
जीवन उद्धार उसका, जिसने राम नाम महिमा जानी,
धर्म-कर्म सर्वोपरि पिता की आज्ञा का किया सत्कार,
वचन निभाया चौदह वर्ष का वनवास किया स्वीकार,
भ्रात लक्ष्मण पत्नी सीता संग गेरुआ वस्त्र कर धारण,
मुस्कुराकर वन को चले हैं श्रीराम, छोड़ वैभव संसार।
राजपाट सुख सब त्याग दिया पर हृदय बसे सब जन,
बैर भाव न किसी से रखा है राम का पावन ऐसा मन,
कष्ट संताप अनंत सहे मुखमंडल लिए सदैव मुस्कान,
राजकुमार होकर भी सहर्ष स्वीकारा सन्यासी जीवन।
छल किया कैकई ने, फिर भी कोई पीड़ा नहीं मन में,
माता के वचन का मान रखने को कष्ट सहा जीवन में,
>लेख समझकर भाग्य का हर संताप सह गए श्री राम,
वनवास को वरदान समझ कर जीवन बिताया वन में।
बाली का संहार कर, लौटाया सुग्रीव का खोया मान,
जनक नंदिनी के ये स्वामी, हैं मर्यादा पुरुषोत्तम राम,
पाषाण रूप अहिल्या का श्रापमुक्त कर किया उद्धार,
महावीर बजरंगी के हृदय बसते, आदर्शवादी श्री राम।
व्यभिचारी रावण ने जब माता सीता का किया हरण,
चेताया कई बार रावण को छोड़ो अहंकार की शरण,
वो अहंकारी समझ न पाया साक्षात खड़े रूप विष्णु,
पाप का घड़ा भर चुका था, रघुवर हाथों हुआ मर्दन।
अंत समय राम का नाम लिया रावण ने जानी महिमा,
राम नाम मुक्ति राम नाम सृष्टि है राम नाम सुखधामा।