राखी बन्धन है प्यार का
राखी बन्धन है प्यार का
राखी बन्धन है प्यार का, कवच काठी है रिश्तेदार का।
हो हौसला अफजाई , ये उत्सव है प्यार और दुलार का।
बढती रहे सदा मोहब्बत, हल हो हर मुसीबते मुकाम का।
भाई बहना के रिश्तों का आदर हो, सुदृढ समाज का।
रक्षा कवच (राखी) पहनकर भाई, बहना पर इतराता है।
भाई के द्वारे सजधज बहना, राखी का गहना पहनाती है।
भूली बिसरी यादें सब, बहना भाई का गुण गाती है।
बाँध कलाई में रक्षक-राखी, भाई से प्रेम जताती है।
भाई से करती प्रेम मधुर, यह हर वर्ष पुनः दुहराती है।
यह सूत्र मात्र नहीं धारा है, सारे जग को बतलाती है।
भाई बहना का प्रेम अमर, जन-जन को समझाती है।
सदा रहे यह प्रेम भाव, समाज को दर्शन करवाती है।
धुमिल न हो यह परम्परा हमारी, हमसबको सिखलाती है।
दो प्राणों में अनुराग अमर हो, इस प्रण की याद दिलाती है।
राखी का त्योहार जो आया, सावन में धुम मचाई है।
पूनम के पूरे चाँद आज, नम में निखार जो लाई है।
