माँ भारती का सारथी
माँ भारती का सारथी
जागे जगत में अलख, माँ भारती की आरती,
हो दिव्य दीप्त दीप से, करता नमन मैं भारती।
खींच लूँ रथ प्रगति पथ, बनकर मैं उसका सारथी।
कर्ण बन संकल्प कर, बन जाऊँ अजेय भारती।
ज्ञान इतना अर्जन करूँ, विज्ञान धन की धारती।
चाँद सूरज तक कदम हो, सारे जहाँ कल्याणार्थी।
कौरवों का सर्वनाश हो, बन जाऊँ पाण्डव तोषार्थी।
भीष्म प्रण से प्राण अर्पित, कभी ना बनूँ मैं स्वार्थी।
मिन्नत करूँ, उद्यम करूँ, बनकर सक्षम विद्यार्थी।
हर परीक्षा में सफल बँनू, बनकर सफल परीक्षार्थी।
संयम से सतत संघर्ष करूँ, हर प्रश्नों को हल करूँ।
लगन से मगन होकर निरंतर, धीर वीर साहस धरूँ।
पंकज कमल जल तल खिले, सौरभ बिखेरे ताल में।
करूँ मैं अर्चना पूजा परम, बन तिलक सिर भाल में।
चाहता हूँ मैं सविनय मिलूँ, जो भी मिले मेरी राह में।
अनुनय विनय सौहार्द से, शान्ति अमन की चाह में।
हो सारे जहाँ में बन्धुत्व रस का, रसपान अमृत अमर।
अब हो ना किसी के बीच, कभी कोई संघर्ष या समर।
