राजनीति हो अब कार्य और कर्म की
राजनीति हो अब कार्य और कर्म की
मूक बधिर नेतागण हैं,
नतमस्तक जनगणमन हैं,
विश्वास तोड़ते लोकतंत्र का,
देश धरा लूटते नेतागण हैं,
जनमानस की समस्या उठाईये,
संसद में जातिधर्म बोलते नेतागण हैं,
जाति धर्म की बातों को,
मंदिर मस्जिद चर्च गुरुद्वारा हैं तो,
राजनीति करिये विकास पर,
बात करिये मानस न्याय पर,
काम करिये सुरक्षा रोजगार पर,
दान करिये स्वास्थ्य शिक्षा के नाम पर,
सोचिये मात्ृभूमि संस्कृति के बारे में,
देखिये आम आदमी के हालात पर,
सतर्कता सत्ता और शासन की,
उत्सकता सवाल जबाब के बाबत की,
बंद करिये नौटंकीशाला जाति धर्म की,
राजनीति हो अब कार्य और कर्म की।
