भावनाओं को पर्दा करके
भावनाओं को पर्दा करके
भावनाओं को पर्दा करके,
कब तक रखना ज़रा बता।
तेरे लिए आलू बुखारा की,
चटनी और जैम बनाऊँ मैं।
आधा किलो ले कर आया,
बताये चटनी या जैम अब।
ये भावनाओं का पर्दा तुम,
मेरे कहने पर हटा रही हो।
तुम्हारे लिए चटनी या जैम,
बनाकर खिलाना फ़र्ज़ तो।
तुम्हारे लिए कुछ भी करते,
जितना करूँ लगा कम ही।
