राज -ए-दिल
राज -ए-दिल
दिल की बातें दिल में ही रहने दो
राज-ए-दिल दफन यहां हैं रहने दो
जख्म दिखाने से नही भरते
देखने वाले दुआ नही करते
कुछ झूठी हमदर्दी दिखाकर
हँसते हैं मूँह छिपाकर
कुछ नमक छिड़कते हैं
मरहम दिखाकर
इससे अच्छा है दुख दर्द छुपा लो
अश्क कभी ना बहने दो
वफा की बातें जो हैं करते
अपने वादों पर खरे नही उतरते
मखमली राहों तक साथ हैं चलते
मौसम बदलते ही पल मे बदलते
सच्चा साथी कोई नहीं हैं
कोई कहता भी है तो कहने दो
दिल की बातें दिल में ही रहने दो
राज -ए-दिल दफन यहां हैं रहने दो।