प्यारे जानवर
प्यारे जानवर
जानवर कितने प्यारे होते हैं,
दिल के एकदम सच्चे और भोले-भाले,
वो हमारी भाषा नहीं समझते,
पर मन के भावों को समझ जाते हैं,
इंसानों से भी अच्छे जानवर होते हैं,
जानवरों का घर क्यू नही होता,
वो हर रोज भोजन की तलास में गली-गली भटकते हैं,
सर्दी की ये राते सर्द भरी रातो मे ना जाने वो कहां और कैसे सोते हैं,
गर्मी की तेज धूप में वो पानी को तरसते हैं,
बारिश में वो कहीं पेड़ के नीचे अपना आशियाना खोजते हैं,
सर्दी में कड़के की ठंड सहते हैं..गर्मी में तेज धूप और बारिश में बारिश का तेज पानी,
मूक ये प्राणी बोल कर अपना हाल कैसे बया करे,
गली गली ये भटक भटक के ये हजारों से मार और गालियां खाते हैं,
आखिर क्यों इंसान इनके साथ ऐसा करता हैं,
जंगल इनका घर हैं वो भी इन से छीन लिया जाता है,
ये शिकारी इनको मार कर क्या पाते हैं,
आखिर क्यों इंसान को जानवरो पर दया नही आती,
इंसान कैसे बेरहम और हैवान बन गया है,
इंसान इंसानियत छोड़ शैतान बन गया है,
इंसान तू इतना कैसे बदल गया है,
जानवरो से ऐ इंसान तुम प्यार करो वो भी तुम से प्यार करेगा,
जानवर भी तुम्हारा सच्चा दोस्त बनेगा,
जानवरों को तुम मारो नही बल्कि खाना दो हर रोज,
धूप, सर्दी, बारिश में भी हो सके तो उनका ख्याल रखो,
उनसे अपना घर और हक मत छीनो बल्कि उनको अपना साथी समझो,
एक पल जब कभी तुम खुद को अकेला महसूस करो तो
ऐ इंसान उन प्यारे जानवरो से अपना हाल बया करना वो तुम को समझेंगे,
इंसानों की तरह चुगली नही करेंगे,
बल्कि वो प्यारे जानवर हमारे साथी और दोस्त बनकर हमारे आँसू पोछेगे।
