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himangi sharma

Abstract

4.5  

himangi sharma

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कभी तो मुस्कुराओ तुम.....

कभी तो मुस्कुराओ तुम.....

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कभी तो मुस्कुराओ तुम, 

जब होता है उजियारा, 

छुप जाता है अंधियारा, 

शुरू करते हुए अपने इस नए दिन को, 

कभी तो मुस्कुराओ तुम,

बन ठन कर आया है देखो,

आकाश में चिडियो का झुंड,

उनके मधुर गाने को सुनकर,

कभी तो मुस्कुराओ तुम,

कोयल कूक रही डाली पर,

 चिड़िया है तिनके लाई, 

उसको घोसला बनाते देख

 कभी तो मुस्कुराओ तुम,

बादल है आते जाते, 

अलग अलग है आकार बनाते,

उनको शोभा पाते देख 

कभी तो मुस्कुराओ तुम,

बगीचे में है नए फूल खिले,

तितलियां करने आईं भ्रमण,

उनको उड़ान भरते देख,

कभी तो मुस्कुराओ तुम,

बीते कल की व्यथा बड़ी है,

मन में कई जख्म करी है,

पर आने वाले कल के अवसरों को देख,

कभी तो मुस्कुराओ तुम,

हार गए हो तो क्या,

क्या बहुत कुछ सीखे नहीं हो तुम,

इस तरह की सोच रखकर,

कभी तो मुस्कुराओ तुम।


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