ज़िन्दगी का दुःख
ज़िन्दगी का दुःख
ज़िन्दगी का दुःख जब ख़ुशी के क्षणों में आ जाता है,
तो जैसे भूकंप मचा जाता है,
ऐसे तो ज़िन्दगी में दुःख होना भीं जरुरी है,
लेकिन ख़ुशी के हो कम लम्हे और पल तो दुःख को क्यों इतना समय लेना जरुरी है,
खुशी हो चाहे अच्छी भली,
दुःख बीच में आ जाता है,
हर पल बीच में आकर तूफ़ान मचा जाता है,
दुःख के कारण सुख और ख़ुशी को हम भूल जाते है,
रोने में इतने व्यस्त होते है कि जश्न मनाना ही भूल जाते है,
क्यों ख़ुशी के हर पल में हम इतना खुश होते है,
दुःख के क्षणों में भी फिर उतना ही रोते है,
जिंदगी के दुःख में हम जीना ही भूल जाते है,
क्या दुःख इतना ताकतवर है कि हमें जीना ही भूला दे!!!!!!!!!!!!!!!