खुद से हारने का दुःख
खुद से हारने का दुःख
कम अंक जब जीवन रुपी विषय में आते हैं,
तो खुद से हुई हार को दर्शाते है,
दूसरों से हारना इतना दुःख नहीं देता,
जितना खुद से हारना दे जाता है,
अफ़सोस तो दिमाग को तब होता है
जब अंतर्मन उसे ललकारता है,
बातों ही बातों में उसको चुनौती तक दे जाता है,
और गुरूर दिमाग का ऐसा क़ि
स्वास्थ्य को भूल जाता है,
अपनी जीत को दर्शाने के लिए
स्वास्थ्य को दाव पर लगता है,
दिमाग समझे ना समझे,
मन को समझना होगा,
कि दोनों के संगम के
बिना दुःख ही झेलना होगा,
तो रखो जीवन में दोनों का संगम,
जीत सकोगे फिर हरदम,
जब उठेंगे मन और दिमाग के साथ में कदम,
तभी प्राप्त होगी सफलता हरदम।