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ritesh deo

Abstract

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ritesh deo

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जिंदगी

जिंदगी

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ख्वाइशों से बढकर जो मिले

उसका कोई किनारा नही होता।

चाहे सपना कुछ भी हो

जो हकीकत मे हमें ना मिले

वो हमारा नही होता।


कभी वास्तविकता में तो जी

दिल खोलकर।

माना तुने खवाब देखे है

आँखे खोलकर।

क्या गारन्टी है कि सच्च हो जाये

जरा बोल, मुँह खोलकर।

बेवजहा बोलता है,आज कुछ वजहा है

आज बोल दिल खोलकर।


मैं बोलता नही हूँ

आँखे बोलेगी।

जिसको जो समझना है समझ ले

आँखे आज पुराना राज खोलेगी।


मेरी भी आँखे खुल गयी

ये सब देखकर।

मैं तो रियल में हूँ

मैं चौक गया खुद को

दूसरों के सपनों में देखकर।


माना तेरी बातों में मेरा जिक्र नही होता।

मैं तो एक ख्वाब हूँ

मैं तो हमेशा तेरे साथ ही सोता।

कभी उठकर तसल्ली तो की होती

मैं कोई ख्वाब नही

जो तेरे साथ होता।

मैं तो तेरा ही अहसास हूँ

मैं हमेशा तेरे ही साथ होता।


रोता है अगर तू

ख्वाइशों को अधूरा देखकर।

खुश होता है तु

बेवजहा प्यार देखकर।

ये गलती तेरी है

जो खुश होता है तू

सपनों को देखकर।

सपने कभी अपने नही होते

तू जी ये सोचकर।



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