प्यार
प्यार
प्यार किसी दिन का, किसी पल का,
किसी मौके का मोहताज नहीं।
जब तुम मिले, हम मिले,
जब हों नज़रे चार, प्यार का हो
तभी वार।
जब होंठ गुनगुनाएं, ह्रदय चातक सा
ज़िद्दी बन जाए, ना माने मनाए,
और चातक सी रीत निभाए,
दिल के आँगन में यादों के बादल
लहराए,
दिल की धड़कनें भी व्याकुल
हो - हो जाए ,
तभी प्यार का वार हो जाए।
जब मेरी कलम कागज़ पे चित्र
तुम्हारे बनाए, जब तुम्हारा दिया
दर्द, क्रन्दन भी उपहार बन
दिल को भाए, हर पल दर्पण भी
छवि तुम्हारी दिखलाए ,
अधरों की प्यास बढ़ जाए,
तब प्यार का समझो वार हो जाए।
जब भावों में सतरँगी इन्द्रधनुष के
रंग नज़र आए, सब कुछ मादक
सा हो जाए, अरमान कल्पना
प्रीत में लहराए, तब हर पल ही
वेलनटाईन बन जाए,
तब प्यार का वार हो जाए ।