प्यार उसका ……अथाह
प्यार उसका ……अथाह
प्यार उसका …….…. अथाह
कोई नहीं जानता ….
और जान पाया है
कहाँ किस ऊँचाई तक वो जाएगा
बादलों को छू पाने के सपने
इस जमीं की हद से …..
उस पार तक जाने की चाह
एक अनबूझ पहेली ……
जो उसने ……बनायी
शायद हमें बना के ….
भेज के इस जहां में …
उस ने भी था अकेलापन
जो महसूस किया ….
किसी ना किसी बहाने से हमें उलझा के …..
हमसे मिलने ……... और
सुलझाने को ….
वो भी आ सके ………..यहाँ
कोई ना समझ पाया
उसका …………..प्यार अथाह