प्यार की तलब

प्यार की तलब

1 min
331


आज बरसात में भी घुल 

रही हैं महक प्यार की

आज बूंदों को भी प्यार 

की तलब लगने दो,


दिल की बात दिल में

रख कर निकली थी

आसमां से 

जो जुदा होके 

अपने हाथों में 

भरकर उनको भी 

मिलने का मौका दो,


ये प्यार का नशा है सनम

आज इन बूंदों को भी प्यार 

की तलब लगने दो...


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract