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Sandeep Panwar

Abstract

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Sandeep Panwar

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प्यार की तलब

प्यार की तलब

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आज बरसात में भी घुल 

रही हैं महक प्यार की

आज बूंदों को भी प्यार 

की तलब लगने दो,


दिल की बात दिल में

रख कर निकली थी

आसमां से 

जो जुदा होके 

अपने हाथों में 

भरकर उनको भी 

मिलने का मौका दो,


ये प्यार का नशा है सनम

आज इन बूंदों को भी प्यार 

की तलब लगने दो...


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