STORYMIRROR

Nikita Panchal

Romance

3  

Nikita Panchal

Romance

प्यार की निशानी

प्यार की निशानी

1 min
416

अब तो गुजरते हैं उस रास्ते से जिस रास्ते तुम मिले थे

अब तो वो रास्ता भी हमें पहचानता है

उसे भी पता है वो मेरे प्यार की निशानी है


अब तो जाते है हररोज उस इमारत में जहां हम मिले थे

अब तो वो इमारत भी हमें पहचानती है

उसे भी पता है वो मेरे प्यार की निशानी है


अब तो खड़ी रहेती हूं उस जगह घंटो जहां हम खड़े थे

अब तो वो जगह भी हमें पहचानती है

उसे भी पता है वो मेरे प्यार की निशानी है


अब पूछ लेती हूं में उन लोगो को जो हमारे मिलने के साक्षी थे

देखा है कहीं आप ने मेरे यार को वो यहीं आता है हररोज

मुझे ही क्यों नहीं मिलता वो एकबार भी


ऐसी भी क्या बेरुखी मुझ से जो इतना तड़पाते हो मुझे

बहुत प्यार करती है ये निक्स तुम से पागल

थोड़ी देर तो प्यार से मुझ से बात किया करो


एक बार फ़िर से मुझे मिलने की गलती करदो

आधी पागल तो हो ही गई हूं में तुम्हारे प्यार में

अब पूरी पागल करने के लिए एक बार मुझसे प्यार कर लो.


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance