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DR. RICHA SHARMA

Romance

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DR. RICHA SHARMA

Romance

प्यार का ख्याल

प्यार का ख्याल

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प्यार का ख्याल आते ही मैं स्वयं गुदगुदाने लगती हूँ

निगाहों में अद्भुत चमक देख जगमगाने लगती हूँ।

महकते गुलाब के फूल-सी सुगंध बिखराने लगती हूँ

सूरज के किरणों के समान झिलमिलाने लगती हूँ।


प्यार का ख्याल आते ही मैं परियों के समान उड़ती हूँ

धरा पर रहते हुए गगन को भी स्पर्श कर लेती हूँ।

मैं रंगबिरंगी तितली की भांति उड़ती-फिरती हूँ

मैं धरती-आसमान दोनों में चमकने लगती हूँ।


प्यार का ख्याल आते ही मैं दीपक की तरह जलने लगती हूँ

छोटी बाती के समान खुद को जलाने के लिए मचलती हूँ।

अंधकार को दूर मिटाने के लिए उजाला बन चमकती हूँ

दीए में डाले जाने वाले तेल तथा लौ की तरह दमकती हूँ।


प्यार का ख्याल आते ही मैं समय का इंतज़ार करती हूँ

भविष्य को पल भर में ही वर्तमान कर देना चाहती हूँ।

मैं अपने प्रियतम से बिना समय गंवाएं मिलना चाहती हूँ

ज़िंदगी में कभी नहीं बिछुड़ने का वचन लेना चाहती हूँ।



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