“ प्यार छलकता माँ का सब दिन “
“ प्यार छलकता माँ का सब दिन “
माँ की ममता
यूँ छलक पड़ी,
जब क्रंदन लाल का
निकल पड़ा !
झट से वो
बाहर निकल पड़ी,
माँ के उर में
वह लिपट पड़ा !!
उसको अपनो का
प्यार मिला,
माँ की गंगा की
धार मिली !
रह -रह के
माँ को देख रहा,
मानो उसको
फुल झड़ी मिली !!
माँ तो सिर्फ
अपनी माँ होती है,
अहर्निश साथ
रहा करती है !
दुख हो या
सुख हो बच्चों का,
उनके लिये दौड़ पड़ती है !!