Neeraj pal

Abstract

4.9  

Neeraj pal

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पवित्र जीवन

पवित्र जीवन

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पवित्र बना लो अपना जीवन, मन के विचारों को सुधार ले।

 झलक सच्चाई के दर्शन होंगे, दुनिया की कसौटी पर उतार ले।।


 प्रभु करते हैं प्रेम उन्हीं से, अच्छे कर्मों से जिन का नाता है।

 गुरु का आश्रय सबसे अनोखा, पापी भी सुधर जाता है।।


 जीवन रूपी अमूल्य निधि को, सार्थक तुमको करना होगा।

 सजग, प्रसन्न रहो तुम प्रतिक्षण, निश्चिंत तुमको रहना होगा।।


 यह संसार है एक सपना, पलक झपकते ही मिट जाएगा।

 धारण कर ले गुरु को उर में, जो भव रोग से मुक्त कराएगा।।


 सहज- समाधि वह हैं बतलाते, मलिन इच्छाओं को दूर हैं भगाते।

 "नीरज" उस परम सुख को तू पाले, जीने का मकसद हैं सिखलाते।।


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