"पवित्र बंधन"
"पवित्र बंधन"


सावन की फुहारों के बीच
ये पावन पवित्र बंधन का
देखो त्यौहार आया है
भाई की कलाई में बहना का
ये प्यार बांधने आया है
रिश्तों की बुनियाद बन जाता है
रिश्तों में ख़ास बन जाता है
रिश्ता हो कोई भी जीवन का
पवित्र बंधन उसकी ही
मजबूत साख बन जाता है
सींचा करो प्रेम भाव से
रखा करो इनको जतन से
इन पर नजर जरूरी है
इनकी कीमत कोई नहीं
बस अनमोल धरोहर है
पवित्र बंधन का मोह है
इसकी तृष्णा गहरी रखो
तभी जीवन भी सफल है
रूप अनेक हैं इसके
प्रारूप प्रांतीय रूप लिए हैं
कहीं पूजा जाता इन्हें
कहीं निभाया जाता है
पर जग में सभी जगह
खूब सजोया जाता है इन्हें
ये पवित्र बंधन रिश्तों के
आधार हैं जीवन को जीने के
तुम आए या हम आएं
ये रीत है निभाई जाती है
थाल सजाई जाती है
या हम सजते धजते हैं
ये प्रीत है जग के
पवित्र बंधनों की
हर सांस पर निभाई जाती है
रेशम की हो डोर
या हो इनमें कच्चा धागा
स्थान कलाई पर हो
या गलबंद का फेर हो
आंचल घूंघट की मासूमियत
अपने में पिरोया रहता है
कई रूपों की पृष्टभूमि
पवित्र बंधन की गाथा हैं।