शमशीर
शमशीर
हटा नज़रें नापाक अपनी,
अब मेरे राष्ट्र की सरहदों से,
छेड़खानी कर बन्द,
तू मेरी सरहदों से,
शांत हूं विचाराधीन हूं,
मुझे लीन ही रहने दे,
मत ललकार उस पार से,
कर वार मेरी सरहदों पे,
देख ले उठ गया,
यदि तो विध्वंस होगा,
तू देखता रह जाएगा,
तेरे धड़ से सिर उतर कर,
सच कह रहा हूं,
मेरे ही चरणों में होगा,
क्या औकात है तेरी,
बता कितना टिक पाएगा,
आराम करने दे मयान में ही,
तुझ में इतना दम कहां,
कि तू मेरी शमशीर का,
तेज़ प्रहार सह पाएगा,
फिर भी चैन नहीं है,
तो बस एक मौका देना,
मेरी भारत माता की सरहद पर,
तू एक नापाक कदम अपना,
मेरी शमशीर के रहते ,
कभी रखकर देखना,
हां मेरी शामशीर को,
हिम्मत तेरी है अगर,
तो कभी ललकार कर देखना,
कैसे तुम संभाल पाओगे,
हमने उठा ली जो शमशीर,
फिर ना तुम बच पाओगे,
आते जाते तेरी निगाहों के,
तब ये तेवर बदल जायेंगे ,
तू देखता हर जाएगा,
तेरी ज़मीन से ही,
तुझ को उठा ले जाएंगे।
