STORYMIRROR

Pawanesh Thakurathi

Tragedy

2  

Pawanesh Thakurathi

Tragedy

पूस की एक और रात

पूस की एक और रात

1 min
404

जाड़े से ठिठुरता हल्कू

खड़ा हुआ है

कंबल मांगने वालों की कतार में।


उसके कुत्ते झबरा को

पेड़ पर चढ़े वानर

चिढ़ा रहे हैं।


रात अभी पूस की ही है

हल्कू के ठिठुरने के साथ-साथ

प्रजातंत्र भी ठिठुर रहा है।


लेकिन कंबल बांटकर

उस पर मरहम लगाने की

कोशिश की जा रही है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy