पुष्प
पुष्प


मन उपवन में पुष्प खिला,
मानो जैसे नवजीवन मिला है, खून
शबू जिसकी महकाती कण कण,
आभा जिसकी चहकाती ये तन,
रंग जिसका थकी आँखों को कर दे रोशन,
रूप जिसका रूठी हँसी को कर दे प्रसन्न।
मन उपवन में पुष्प खिला,
मानो जैसे नवजीवन मिला है, खून
शबू जिसकी महकाती कण कण,
आभा जिसकी चहकाती ये तन,
रंग जिसका थकी आँखों को कर दे रोशन,
रूप जिसका रूठी हँसी को कर दे प्रसन्न।