पुकार
पुकार
कोख से कन्या तुम्हें है पुकारती,
माँ मुझे मारने का तुम ये अपराध ना करना,
मैं चाहती हूँ इस दुनिया में आना,
तुम्हारे दुख दर्दो को चाहती हूँ मैं बाँटना,
मैं तुम्हारा अंश हूँ माँ,
और बनना चाहूँ तुम्हारी प्रतिकृति,
तुमने कितने जुल्म सहे इस दुनिया में,
उन सबको मैं चाहूं तुमसे बाँटना,
अपनी सारी दुआओं से तुम्हें करना चाहूँ मैं,
फलीभूत, मुझको इस संसार में
लाने का साहस तुम्हें ही है करना,
सबसे तुम लड़ जाओ माँ,
पर मुझको दुनिया में लाओ माँ।